आनंद ही आनंद है
आनंद का रस ले
भज मन रे गुरु का नाम आनंद का रस ले
तू छोड़ दे सारे काम आनंद का रस ले
दो दिनों का जीवन है प्यारे
खुल के तू जरा हंस ले आनंद का रस ले
कर ले सेवा जो किसी की आनंद तू पायेगा
सत्कर्मों का लेखा जोखा साथ ले जायेगा
तर जायेगा जो नाम ध्यायेगा
दुष्कर्मों के नाग से बच लो
तुमको न ये डस ले – आनंद का रस ले
मुस्कुरा के हंस के प्राणी अपना जीवन बिता दे
गुरु ज्ञान की इस ज्योति को सबके मन में जगा दे
कर सेवा तू आनंद पायेगा
गुरु ज्ञान की गठरी है ये
इस गठरी को कस ले आनंद का रस ले
गुरु नाम जो साथ है तेरे एक दिन तर जायेगा
गुरु नाम का नूर तेरी भी हंसी चमकाएगा
गुरु ब्रम्हा है, गुरु विष्णु है, गुरु देवो है, गुरु महेश्वर है
गुरु नाम बिन गाते मिले न खाली हाथ ही हंस ले
आनंद का रस ले
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