मस्तिष्क की असीमित शक्तियों को उन्मुक्त करने के लिये महामेधा क्रिया

महामेधा क्रिया शैक्षिक प्रदर्शन और प्रतियोगी परीक्षाओं में असाधारण सफलता को सुनिश्चित करने के लिये छात्रों की स्मृति, मानसिक योग्यता, बुद्धिमत्ता, एकाग्रता और आत्मविश्वास की बहुआयामी वृद्धि के लिये एक वैज्ञानिक दृष्टि से स्थापित तकनीक है।  हजारों छात्रों ने शैक्षिक प्रदर्शनों में करीब 60 प्रतिशत और किन्हीं मामलों में और भी ज़्यादा प्रत्यक्ष सुधार पाया है।

महामेधा क्रिया युवाओं को नशे की लत जैसे धूम्रपान, शराब और ड्रग्स से दूर रखने में भी एक प्रभावी उपचार साबित हुई है।  छात्र नकारात्मक लक्षणों जैसे क्रोध, भय, उद्दंडता, अति कामुकता और निराशा आदि से भी मुक्ति पा सकते हैं। इसके अलावा यह क्रिया सभी प्रकार के नेत्र विकारों का एक निश्चित उपचार है।  आधुनिक युवाओं द्वारा स्वस्थ तन, स्वस्थ मन और आत्म-बोध प्राप्त करने का एक सर्वोच्च आध्यात्मिक उपाय है।

महामेधा क्रिया क्यों

साधारणतया, 14 वर्ष की उम्र में बुद्धिमत्ता की वृद्धि रूक जाती है क्योंकि जीवविज्ञान को उस बिन्दु के बाद जिस पर जीव जनन करने योग्य परिपक्व हो जाता है, उसमें कोई रूचि नहीं रहती।  इसलिए, एक व्यक्ति की मानसिक उम्र जैविक क्रम की तरह रूक जाती है। किसी की बौद्धिक क्षमता या बुद्धिमत्ता को बढ़ाने का कोई मार्ग नहीं है।  सिर्फ इतना किया जा सकता है कि मस्तिष्क की सर्वोत्तम संभावना को महसूस किया जाय, जिसका मतलब सिर्फ बुद्धिमत्ता में वृद्धि होगा।

सामान्यतया, एक व्यक्ति अपने मस्तिष्क की शक्ति का मात्र 5 से 7 प्रतिशत ही प्रयोग करता है और यहाँ तक कि असाधारण प्रतिभाशाली लोगों जैसे अल्बर्ट आइन्स्टाइन और बर्टर्नड रससेल का भी 85 प्रतिशत मस्तिष्क अप्रयुक्त (अनयूज्ड) ही रहा।

महामेधा क्रिया मस्तिष्क की अप्रयुक्त क्षमता को मार्गीकृत और इससे बुद्धिमत्ता में जबर्दस्त वृद्धि की सुनिश्चिति करने की एक प्रक्रिया है।

यह क्रिया कार्य कैसे करती है?
इस क्रिया में प्रयोगों की एक शृंखला है जो उन दिमागी हलचलों को सुनिश्चित करती है जो मस्तिष्क के विभिन्न भागों को ट्रिगर करें और नये संपर्क बनाएँ।  इस क्रिया में सम्मिलित अभ्यास ‘ग्रे सेल्स’ को उत्तेजित करते हैं और मस्तिष्क के विभिन्न नेटवर्कों द्वारा सूचना के मूल प्रवाह की अनुमति देते हैं फलतः मस्तिष्क की कोशिकाओं की इष्टतम क्षमता का प्रयोग होता है।  यह तनावग्रस्त मस्तिष्क के अवरोध को हटाने में मदद करती है और नवीनीकृत शक्ति के साथ सीखने की शक्ति को बहाल करती है।

इस क्रिया के अभ्यास के दौरान आपका मस्तिष्क स्थिरता की अवस्था में पहुँच जाता है जहां आप वास्तविक या अवास्तविक किसी भी प्रकार के विचार से रहित शुद्ध चेतना का अनुभव करते हैं। इसी क्षण मन मस्तिष्क की शक्तियों को अंदर से ही उत्तेजित करता है और फिर आपकी बुद्धिमत्ता सारी गणनाओं के परे विकसित हो जाती है।  महा मेधा क्रिया मन को स्थिरता की अवस्था में लाने की सबसे प्रभावी तकनीकियाँ उपलब्ध कराती है जो अंदर से बुद्धिमत्ता की शक्तियों को उन्मुक्त करती है।

इसके अतिरिक्त, जब यह महा मेधा क्रिया द्वारा उत्पन्न स्थिरता की स्थिति में है; आप स्वयं का वास्तविक प्रतिबिंब देख सकते हैं, अर्थात, आप वास्तव में अपनी पुनर्खोज कर लेंगे।  यथा, महा मेधा क्रिया आत्म-बोध के लिए भी प्रभावकारी आध्यात्मिक उपकरण बन जाती है।

महामेधा क्रिया के संबंध में वैज्ञानिक तथ्य

आपके भीतर बहने वाली ऊर्जा सिर्फ एक प्रकार की होती है।  जिस दिशा में यह ऊर्जा बह रही है उससे इस ऊर्जा का स्वभाव निर्धारित किया जा सकता है।  यदि ऊर्जा नीचे की ओर बहती है, तो यह काम ऊर्जा बन जाती है और यदि यही ऊर्जा काम केंद्र से ऊपर की ओर बहती है, तो यह आध्यात्मिक ऊर्जा, आत्मा या कुण्डलिनी, जो भी आप नाम दे सकें, बन जाती है।  ऊर्जा वही रहती है लेकिन दिशा का बदल जाना ही ऊर्जा के प्रभाव को निर्धारित करता है।

जैसे ही जीवन ऊर्जा उठती है और काम केंद्र से ऊपर बहती है, यह आध्यात्मिक ऊर्जा बन जाती है जो आत्म-बोध कराती है और आखिरकार व्यक्ति के स्वयं को एक नया आयाम देती है।  यदि ऊर्जा नीचे की ओर बहती है, तो यह ऊर्जा किसी दूसरे व्यक्ति का सहारा चाहती है लेकिन ऊर्जा के ऊपर की ओर के प्रवाह में व्यक्ति आधार रूप में अपनी सेवा करने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करता है।  नीच की ओर बहते हुए जीवन ऊर्जा काम केंद्र से होते हुए धरती में जाकर नष्ट हो जाती है।  लेकिन ऊपर की ओर बहती हुई जीवन ऊर्जा सहस्रार से होते हुए ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ जाती है जो कि आत्म-बोध की प्राप्ति और उसके फलस्वरूप आंतरिक आनंद का अनुभव कराती है।

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बिना काम ऊर्जा को आध्यात्मिक ऊर्जा में बदले व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं किया जा सकता और ऊर्जा के आंतरिक रूपान्तरण के लिये ध्यान ही एकमात्र तकनीक है।

वृद्धावस्था में ध्यान की शुरुआत ऐसे ही है जैसे मौसम बीत जाने के बाद बीज बोना। इसलिये नकारात्मक काम ऊर्जा को सकारात्मक आध्यात्मिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिये बच्चों को कम उम्र में ही ध्यान की यात्रा करने के लिये प्रोत्साहित करने का हर संभव प्रयास करना चाहिये।  कम उम्र में ही बच्चों को ध्यान की शुरुआत कराना काम ऊर्जा का द्वार खुलने से पहले सकारात्मक ऊर्जा के द्वार का खुलना सुनिश्चित करेगा।  इस उम्र में काम ऊर्जा का द्वार अभी तक बंद है और ऊर्जा अंदर ही संरक्षित है।  इसलिये, ध्यान द्वारा जीवन ऊर्जा को काम केंद्र से ऊपर की ओर भेजने का सबसे उचित समय यही है।

यदि वे जीवन में प्रतिदिन थोड़े समय के लिये ध्यान का अभ्यास शीघ्र प्रारम्भ कर दें, किशोरावस्था में प्रवेश करने से पूर्व ही सकारात्मक ऊर्जा का एक नया द्वार खुल जाएगा।  यह तरह-तरह के नकारात्मक रास्तों से ऊर्जा का बाहर जाना भी रोकेगा।

यह आपको कैसे लाभान्वित करेगी?

आजकल प्रतियोगिता का युग है और आप जानते हैं कि आप कई तरह के विकर्षणों से घिरे हुए हैं। अध्ययन और परीक्षाओं की वजह से लगातार तनाव में रहने वाले आप जैसे छात्र अपने माता-पिता, अध्यापकों और साथियों द्वारा लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दबाव में रहते हैं।  ऐसे परिदृश्य में, क्लास में और जीवन में आगे बढ़ने की चुनौतियों से उबरने के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने मस्तिष्क की शक्ति का प्रभावी उपयोग करें।  महा मेधा क्रिया सभी छात्रों जो अपने अध्ययन में उन्नति चाहते हैं, के लिये एक प्रभावी उपाय है क्योंकि यह क्रिया बच्चे की मानसिक क्षमता और बुद्धिमत्ता को शक्तिशाली बनाने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

बढ़ी हुई ग्रहण क्षमता और याददाश्त के साथ आप विशेष सफलता और प्रतियोगी परीक्षाओं एवं शैक्षिक प्रदर्शनों में उत्कृष्टता के दृश्य चिन्ह दिखाएंगे।  यहाँ तक कि कठिनतम समस्याएँ भी छात्रों को सामान्य लगेंगी।  अब यह एक सिद्ध तथ्य है कि जो छात्र महा मेधा क्रिया का अभ्यास करते हैं, वे दूसरों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन करते हैं और और हर समय सकारात्मक ऊर्जा द्वारा चलायमन रहते हैं।

प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक

महा मेधा क्रिया छोटी, सामान्य और अति प्रभावशाली है – मात्र 13 मिनट का एक चमत्कार जिसका अभ्यास हर छात्र सुविधापूर्वक कर सकता है।

  • न्यूरोन्स के आपसी-संपर्क जिन्हें स्यनापसेस कहते हैं में बहु-आयामी बढ़ोत्तरी करने की एक तकनीक जो कि अधिक बुद्धिमत्ता और प्रज्ञता सुनिश्चित करती है।
  • मस्तिष्क क्षमता का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने की एक वैज्ञानिक तकनीक जो कि याददाश्त, मानसिक क्षमता और एकाग्रता में विविध वृद्धि करती है।
  • यह मस्तिष्क तक पर्याप्त प्राणवायु और रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित करती है जो कि अति महत्त्वपूर्ण है क्योंकि पूरी प्राणवायु और रक्त आपूर्ति का 25% मस्तिष्क ही प्रयोग करता है।
  • यह शरीर में एंडोर्फीन नामक एक रसायन मुक्त करता है जिससे छात्र नकारात्मक लक्षणों जैसे क्रोध, चिंता, अनिद्रा और डिप्रेशन को हटाकर आंतरिक आनंद का अनुभव करते हैं।
  • इस क्रिया के नियमित अभ्यास से शराब, धूम्रपान, ड्रग्स आदि जैसी बुरी आदतों से मुक्त होने में मदद मिलती है।
  • छात्रों के बीच सभी तरह की आत्मघाती इच्छाओं पर नियंत्रण में मदद करती है। हर प्रकार के नेत्र विकारों का एक अचूक उपचार।
  • यह मूलाधार चक्र से सहस्रार नामक सबसे ऊपर के चक्र की ओर ऊर्जा का प्रवाह करती है।
उत्तम नोट्स बनाइये

सभी टॉपर्स निरपवाद रूप से एक समान कार्य करते हैं, वे सबसे बढ़िया नोट्स बनाते हैं।  सबसे अच्छे परिणामों के लिए आपको नोट्स लेने और बनाने की अवस्था से ही वैज्ञानिक रूप से तैयारी करनी होगी।  सबसे पहले, अपनी परीक्षाओं और पाठ्यक्रम की आवश्यकताओं को समझिये, सिर्फ एक या दो प्रामाणिक पुस्तकें पढ़िये, यह आपकी मदद आपके नोट्स इस तरह से तैयार करने में मदद करेगा जो आपकी आवश्यक जानकारियों को बनाए रखने में मदद करेगा और अधिकांशतया कोशिश कीजिये अपने छोटे-छोटे वाक्यांश और फॉर्मूले बनाएँ जिससे कि आपके लिए उन बिन्दुओं को याद रखना आसान हो।

और याद रखिए परीक्षक सिर्फ तभी प्रभावित होते हैं जब आपके उत्तर संगत, साफ, संयोजित हों और कुछ उदाहरणों से समर्थित हों।