आनंद ही आनंद है
मैं पगला होके फिरता हूँ मारा-मारा
मैं पगला होके फिरता हूँ मारा-मारा
गुरु शरण तुम्हारी आया हूँ दे दो सहारा
सुख के सागर चरणों बहते साथ तुम्हारा प्यारा दे दो सहारा
भटका हूँ गुरुदेव मैं ऐसा दुनिया ने भरमाया
छोड़ के झूठा जग सारा मैं शरण तुम्हारी आया
गुरुदेव ने – हो – गुरुदेव ने सबको है तारा दे दो सहारा
सत्य मार्ग पर गुरुवर मुझको चलना तुम सिखलाओ
राह से भटका हूँ मैं राही मुझको राह दिखाओ
इस जग से मैं – हो – इस जग से मैं
इस जग से गया हूँ मैं हारा दे दो सहारा
तुम ही तो कहते हो गुरुवर आनंद ही जीवन है
तुम ही बता दो गुरुवर मेरा क्यों उदास ये मन है
गुरुदेव हो – हो – गुरुदेव हो तुम अपरम्पारा दे दो सहारा
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