Author Archives: अजय प्रताप सिंह

आकर्षण का नियम

आकर्षण का नियम, ब्रह्माण्ड का प्राकृतिक नियम है। इसके अनुसार, “लाइक अट्रैक्ट्स लाइक” यानि जब आप किसी विशेष विचार पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो आप उसी तरह के अन्य दूसरे विचारों को अपनी ओर आकर्षित करना प्रारम्भ कर लेते हैं। विचारों में चुम्बकीय शक्ति है और वे अपनी विशेष आवृत्ति (फ्रिक्वेन्सी) पर काम करते हैं। अतएव, वे उस फ्रिक्वेन्सी पर कार्य कर रहे अन्य सभी समान विचारों आकर्षित करना और आपको सर्वथा प्रभावित करना प्रारम्भ कर देते हैं। आप ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली संचरण मीनार (ट्रांसमिसन टावर) हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप नियति को क्या संदेश देना और उससे क्या प्राप्त करना चाहते हैं।

आपका वर्तमान जीवन आपके बीते हुए कल में आप द्वारा की गयी इच्छाओं और विचारों का परिणाम है और, जैसे आपके विचार आज हैं उससे आपका भविष्य निर्मित होगा। “विचार शक्ति का विज्ञान” का सार है कि आप जिस विषय में विचार करते हैं या ध्यान केन्द्रित करते हैं आपको वही प्राप्त होता है, चाहे आप चाहें या न चाहें। एक दूसरे से मिलते जुलते सारे विचार एक ही दिशा में पंक्तिबद्ध होकर वस्तु रूप लेने लगते हैं। निराकार साकार रूप लेने लगता है।

आप जिस भी संबंध में विचार कर रहे हैं वह आपके भविष्य की घटनाओं की योजना बनाने जैसा है। जब आप किसी की प्रशंसा कर रहे हैं तब भी आप योजना बना रहे हैं। जब आप किसी विशेष विषय में चिंता कर रहे हैं तब भी आप योजना बना रहे हैं। चिंता करना आपकी कल्पनाशक्ति से कुछ ऐसा करवाती है जैसा आप अपने जीवन में कभी नहीं होने देना चाहेंगे। इस तरह हर विचार विश्व व्यवस्था या ब्रह्माण्ड को एक निमंत्रण है और आपके विचार शक्ति से निमंत्रण के बिना आपके जीवन में कुछ भी घटित नहीं हो सकता है। और, विश्वास रखें, शक्तिशाली आकर्षण के नियम का कोई अपवाद नहीं है।

कल्पनाओं से परिपूर्ण विचार समान चीजों को वास्तविकता की ओर आकर्षित करते हैं। मतलब आपके विचार अपने साथ की कल्पना की शक्ति से और भी शक्तिशाली हो जाते हैं। विचारों को वास्तविकता में बदलने में कल्पनाएं एक शक्तिशाली भूमिका निभाती हैं। यदि आप किसी ऐसे लक्ष्य के बारे में सोचिए जिसके बारे में आपका उत्साह आधा-अधूरा हो। इस लक्ष्य को पाने में आपको अधिक समय लगेगा।   परंतु यदि आप भावनात्मक रूप से पूरी तरह उत्साहित हैं तो आपको लक्ष्य बहुत जल्दी प्राप्त होगा। दूसरे शब्दों में, यदि आपके विचार आपको लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में ले जाने वाले वाहन हैं तो आपकी भावनाएं ईंधन हैं जो इस वाहन को शक्ति देती हैं।

आप अपने जीवन में होने वाली हर घटना के उत्तरदायी हैं। किसी स्तर पर – चेतन या अचेतन, आपने हर आदमी, हर विचार, हर रोग, हर आनंद और दर्द के हर क्षण को अपने जीवन में आकर्षित किया है। आप जो भी विचार करते हैं और जो भी अनुभव करते हैं वह बिना किसी अपवाद के आपके जीवन में घटित हो जाता है। यह होता ही है चाहे भले ही आप ऐसा न चाहते हों।

अपने जीवन को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने के लिये, अपनी दिनचर्या को विभागों में विभाजित करने का प्रयास कीजिये। इसका सबसे अच्छा तरीका है की अपनी घरेलू जिंदगी, स्कूल की जिंदगी, निजी जिंदगी, और पारिवारिक जिंदगी को अलग-अलग कर दें। ध्यान रखेँ अपनी प्राथमिकताओं को इनके साथ न उलझाएं।

यह पृथक्करण आपकी कई तरीकों से मदद करेगा। यह आपके तनाव के स्तर को कम करने में, आपकी विचार शक्ति को बढ़ाने में, आपको और प्रभावशाली और उपजाऊ बनने में मदद करेगा। इस अलगाव की सबसे विशेष बात यह है की यह आपको स्वाभाविक रूप से परिपक्क्व बनाएगा।

गुरु पूर्णिमा महोत्सव

गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाने एवं परम पूज्य साक्षी राम कृपाल जी का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु आप अपने परिवार, संबंधियों और मित्रों के साथ हृदय से आमंत्रित हैं।

मुख्य कार्यक्रम:
– “हँसता हुआ जीवन जीने का विज्ञान” विषय पर गुरुदेव द्वारा विशेष संदेश।
– सद्गुरु साक्षी श्री की दिव्य वाणी, दिव्य दृष्टि और पवित्र स्पर्श द्वारा सकारात्मक ऊर्जा का हस्तांतरण।
– संगीत एवं नृत्य के माध्यम से दिव्य परमानंद का अनुभव।
– भोजन महाप्रसाद का वितरण (अवश्य ग्रहण करें)।

महत्त्वपूर्ण: कृपया चरम क्षणों की असुविधा से बचने के लिए समय से पूर्व पहुंचें।

संपर्क: 09891178105, 09811847375

Guru Poornima Mahotsav

Guru Poornima Mahotsav

समझ ही समाधान है

आज सारा संसार एक गाँव की तरह हो गया है आज यहाँ बात करो सारी दुनिया में पहुँचती है।  आज आपके पास अणु शस्त्र है अगर आप मिटकर रहोगे, विभाजित रहोगे तो लड़ोगे और लड़ोगे तो निश्चित रूप से युद्ध संभव होगा।  अब अगर युद्ध होगा तो केवल एक देश नहीं मिटेगा, फिर सारी दुनिया मिट जायेगी; इसलिए मैं कहता हूँ कि अब तीसरा विश्व युद्ध असंभव हो गया है तीसरा विश्व युद्ध हो ही नहीं सकता।  अब सिर्फ आतंकवाद ही पनपेगा, बढेगा।  अगर इसको जड़ से मिटाने की कोशिश नहीं की गयी तो पहले समझ पैदा करनी है, जगह-जगह अभियान छेड़ने हैं।  समझ पैदा करने का अभियान सारी सरकारों को मनुष्यता में फैलाना होगा कि हम देशों में राष्ट्रों को अलग-अलग बांटकर नहीं रह सकते, अब हमें एक पृथ्वी, एक देश, एक मनुष्यता की बात सोचनी होगी।  अब हमें लड़ने की बात नहीं सोचनी।  जब अलग-अलग देश कि बात सोचेंगे तो मिट जायेंगे।  मनुष्यता ही मिट जायेगी और दूसरी बात मैं कहना चाहता हूँ कि अब वक्त आ गया है सारी दुनिया को सामूहिक निर्णय लेना पड़ेगा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं और आतंकवाद के खिलाफ रहेंगे और सारी दुनिया को ये संकल्प लेने की जरूरत है कि आतंकवाद किसी भी धरती पर पैदा होगा तो आतंकवादी गतिविधियों को हम प्रोत्साहन नहीं देंगे।  हम सफाया करेंगे उनका, हम मिटायेंगे उनको; हर देश, हर राष्ट्र सबको सामूहिक रूप से संकल्प लेना पड़ेगा।  यह समझ पैदा करनी है कि वो आतंकवादी गतिविधि चाहे जिस देश के खिलाफ हो यदि हमारी धरती पर उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उसकी गतिविधियाँ चलायी जा रही हैं तो हम उसको ख़त्म करेंगे वो आतंकवाद भले ही हमारे दुश्मन देश के खिलाफ क्यों न हो ये समझ पैदा करनी है।  इसका आन्दोलन चलाना पड़ेगा, क्यों?  क्योंकि आदमी यदि समझदार होगा तो अपने आप आतंकवादी गतिविधियों को हतोत्साहित करेगा, मिटायेगा, नष्ट करेगा।  समझदार आदमी होगा तो वो समझेगा कि आतंकवाद का जिसने जहाँ भी प्रशिक्षण लिया या पोषण दिया आतंकवाद ने उसी को डस लिया, उसी को खा लिया है सारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि अमेरिका और यूरोपियन देश जगह-जगह पर आतंकवाद को परिष्कृत कर रहे थे लेकिन ११ सितम्बर २००० कि घटना जो अमेरिका में घटी उसने अमेरिका और यूरोप की आँख खोल दी जिन सांपो को उन्होंने पाला-पोसा था उन्होंने उन्हें ही डस लिया, उनको ही डसने लगे।  अगर वे समझे कि आतंकवाद को अगर हम प्रोत्साहन देते हैं तो आतंकवाद एक दिन निश्चित रूप से हमें ही डस लेगा।  ये समझ पैदा करने की जरूरत है और मैं कहता हूँ कि धर्म और कुछ नहीं है सिर्फ समझ की क्रांति है अगर तुम्हारे भीतर समझ आ जाये, अगर मनुष्य के भीतर समझ आ जाये तो उसकी समस्याओं का समाधान निश्चित है – समझ ही समाधान है।  समझ के अतिरिक्त कोई समाधान नहीं है।  कोई भी चीज पाने के लिए डिज़ायर होनी चाहिए, बर्निंग डिज़ायर होनी चाहिए वैसे ही आतंकवाद को मिटाने की एक बर्निंग डिज़ायर होनी चाहिए।  मनुष्य के दिल में मनुष्य के ह्रदय में वो डिज़ायर सद्गुरु पैदा करेगा।  हम आवाज देंगे, पुकारेंगे, मेरा दावा है अगर मेरे भीतर बर्निंग डिज़ायर है कि मैं आवाज दे-दे कर दुनिया से आतंकवाद को ख़त्म कर दूंगा तो आतंकवाद मिट कर रहेगा। आतंकवाद पनप नहीं सकता है समझ पैदा होगी तो क्योंकि मनुष्य अब इतना नासमझ नहीं रह गया कि अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारेगा और मैं यही कहना चाहता हूँ कि पाकिस्तान जैसे देश भी जो आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहन देते हैं यह समझदारी बहुत जल्दी पैदा करनी पड़ेगी  कि अगर  उन्होंने इसको प्रोत्साहन देना बंद नहीं किया तो ये आतंकवादी ही पाकिस्तान के आत्मघात का कारण बन जायेंगे।  पाकिस्तान को ये खुद ही मिटा देंगे किसी दुसरे को मिटाने कि जरूरत नहीं है ये साक्षात् इतिहास प्रमाण है इस बात का।

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महत्त्वपूर्ण क्रांति-सूत्र

भली-भांति गृहस्थ जीवन बिताते हुए सिद्ध ऊर्जा साधना के माध्यम से गहन ध्यान में उतरने की साधना और व्यावहारिक जीवन में प्रेम का प्रवाह – यही है परम पूज्य गुरुदेव के आध्यात्मिक जीवन दर्शन का सार! उनके द्वारा ध्यान और प्रेम की नाव से परमात्मा तक की यात्रा में जिन अद्भुत क्रांति-सूत्रों का पतवार के रूप में उपयोग किया जाता है उनका सार कुछ इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:-
1.ईश्वर नहीं, आनंद खोजो। परमात्मा कोई व्यक्तिवाची अस्तित्व नहीं है। इस अस्तित्व की परम ऊर्जा जिसे हम परमात्मा की संज्ञा देते आये हैं, वह शांति और आनंद के रूप में मनुष्य जीवन में प्रकट होती है। अतः शांति और आनंद की तलाश ही परमात्मा की खोज बन जाती है।
2.पल-पल मौज में जीते हुए निरंतर वर्तमान में जीने का अभ्यास – जहाँ आने वाले कल और बीते हुए कल की कोई चिंता न हो।
3.प्रेम को फैलाओ, परमात्मा स्वयं प्रकट हो जायेगा। अतः अहंकार के विसर्जन का नित्य अभ्यास जरूरी है क्योंकि जब तक अहंकार है तब तक प्रेम संभव ही नहीं।
4.समाज और धर्म के नाम पर बचपन से डाले गए रुढ़िवादी संस्कारों, विचारों, सड़ी-गली मान्यताओं और दम तोड़ती परम्पराओं को छोड़ देने का साहस करना और बच्चे जैसा सहज-सरल हो जाने का अभ्यास करना।
5.सत्य को, स्वयं को, आनंद को पाने के लिये सद्गुरु को प्राप्त करना और फिर जीवंत परमात्मा स्वरुप सद्गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण के भाव से कर्तापन के विसर्जन का अभ्यास करना।
6.परमात्मा इस ब्रम्हांड के अणु-अणु, कण-कण में व्याप्त है। जब चारों ओर परमात्मा दिखाई पड़ने लगे तो शरीर ही मंदिर बन जाता है और हस सांस प्रार्थना बन जाती है। फिर अलग से मंदिर और पूजा की जरूरत नहीं रह जाती है।
7.प्रार्थना का अर्थ मांगना या शिकायत करना नहीं है, बल्कि जो कुछ भी मिला है उसके लिये परमात्मा के प्रति गहन धन्यवाद के भाव से भर जाना है। धन्यवाद का भाव मंदिर-मस्जिद जाने से नहीं, असपताल जाने से पैदा हो सकता है। अस्पताल में जब तुम देखोगे की तुम्हारी छाती पर प्लास्टर नहीं चढ़ा है, तुम्हारे शरीर में किसी दूसरे के शरीर का खून नहीं डाला जा रहा है, तुम्हारे शरीर में नली द्वारा भोजन नहीं पहुँचाया जा रहा है तो तुम्हारे ह्रदय धन्यवाद के भाव से परमात्मा के चरणों में झुक जायेगा। इस प्रकार धन्यवाद के भाव से झुक जाने के नाम ही प्रार्थना है।
8.सिद्ध ऊर्जा प्रवाह – साधना का नित्य अभ्यास करना तथा साक्षी बनकर जीवन जीना ही श्रेष्ठ है। जीवन एक खेल है। यहाँ सब कुछ मात्र अभिनय है। किसी क्षण यह खेल समाप्त हो सकता है। अतः जिंदगी में कभी भी गंभीर नहीं होना है, मात्र खेल पूर्ण होना है। इस सत्य की गहन समझ से ही जिंदगी में साक्षी भाव और ध्यान की साधना प्रतिफलित होने लगती है।

उक्त सूत्रों के अतिरिक्त दो महत्त्वपूर्ण जीवन-क्रांति सूत्र श्रद्धेय सदगुरुदेव द्वारा शक्तिपात-दीक्षा के समय अन्तरंग व्यक्तिगत सान्निध्य में परम गोपनीय सम्पदा के रूप में प्रदान किये जायेंगे।

गुरु पूर्णिमा महोत्सव

गुरु पूर्णिमा महोत्सव २०१४

गुरु पूर्णिमा महोत्सव २०१४

भावनाएं और आकर्षण की शक्ति

भावनाएं आपकी आकर्षण की शक्ति को बढ़ाने में मदद करती हैं। अपने आपको इच्छित वस्तु प्राप्त करते हुए विजुवलाइज़ करते समय उस आनंद, प्रसन्नता और उत्साह को अनुभव कीजिये, जो आप आप उसे वास्तविकता में पाकर करते। जितनी शक्तिशाली आपकी भावनाएं होंगी उतनी ही शीघ्रता से आप अपने उन विचारों को वास्तविकता में बदल सकेंगे जिन्हें आप ब्रह्माण्ड से प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिए, उस वस्तु की वर्तमान में उपलब्धता को महसूस करने का अभ्यास करना होगा। अपने सपनों के घर के मालिक होने का और उसका आनंद लेने की कल्पना अभी तुरंत कीजिये, भविष्य में नहीं।

अपनी रचनात्मक कल्पना के भीतर की भावना को बढ़ाने का एक और उपाय है, आप जो प्राप्त करना चाहते हैं उसे प्राप्त करने के बाद दूसरों को भी जैसे पति/पत्नी, बच्चे, समाज और मित्र; को भी लाभान्वित होते हुए देखना। जितने अधिक लोग होंगे उतना ही अच्छा होगा। दूसरों के चेहरों पर मुस्कान विजुवलाइज़ करना और ज़्यादा सकारात्मक भावना को ले आता है। यह प्राप्ति की प्रक्रिया को और अधिक सुगम और तीव्र करता है।

इच्छा स्पष्ट रखें और यह पूर्ण होगी

यह जानना आवश्यक है कि आप विशेष रूप से प्राप्त क्या करना चाहते हैं इसलिए आपको अपनी मांगों में पूरी तरह स्पष्ट होना होगा।  डॉन मारकुईस (अमेरिकी व्यंगकार एवं पत्रकार) के अनुसार, हमारी एक ऐसी दुनिया है जहां लोग यह जानते ही नहीं कि वे चाहते क्या हैं लेकिन उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।  इसलिए, निश्चित स्पष्ट इच्छा और प्राप्त करने के लिए लक्ष्य का होना महत्त्वपूर्ण है।

यह सर्वथा उचित होगा कि आप बैठ जायें और आप जो प्राप्त करना चाहते हैं उसी ठीक वैसा ही लिखें।  यदि आप अपनी इच्छा के प्रति स्पष्ट और निश्चित नहीं हैं तो अस्तित्व की शक्तियाँ आपको वह उपलब्ध नहीं करवा पाएँगी।  यदि आप मिश्रित फ्रिक्वेन्सी भेजेंगे तो आपको परिणाम भी मिश्रित ही प्राप्त होंगे।

अब, शायद, जीवन में पहली बार आप यह जानने और लिखने जा रहे हैं कि आप चाहते क्या हैं, आपकी इच्छाएं क्या हैं।  विश्वास रखें, आप हर वह चीज प्राप्त कर सकते हैं जो आप चाहते हैं, वह बन सकते हैं या हर वह काम कर सकते हैं जो आप चाहते हैं।  आपको बस विशेष और स्पष्ट रूप से चुनना है।  यदि आपकी मांग स्पष्ट और आपकी इच्छाओं के केन्द्रित है, तो अपने अस्तित्व से मांगने की तरफ आपने पहला कदम बढ़ा दिया है।

उस व्यक्ति की कोई सीमाएं नहीं होतीं जो सीमाओं को स्वीकार नहीं करता।  यहाँ तक कि सत्तर साल के वृद्ध पुरुषों ने मैराथनों में दौड़ लगाई है और पर्वतों पर चढ़ाइयाँ की हैं।  हमेशा ध्यान रखें, असफल लोगों के सपने छोटे जबकि सफल लोगों के सपने हमेशा बड़े होते हैं।  महत्त्वपूर्ण है बड़ी सोच और बड़े सपने देखने का साहस।  इसीलिए आपने बहुत सारे सीमित विचार स्वरूप वाले सामान्य ऐसे लोगों को देखा होगा जिन्होंने २४ वर्ष की आयु में अपना छोटा सा व्यवसाय प्रारम्भ किया और ६४ साल की उम्र में उसी छोटे से व्यवसाय से ही अवकाश ग्रहण कर लिया।  उन्होने अपना पूरा जीवन उसी छोटे से व्यवसाय में बिता दिया और कभी भी उससे बड़ा करने के बारे में सोचा तक नहीं।  लेकिन, असीमित विचार स्वरूप वाले ऐसे दूसरे लोग भी हैं जिन्होने  छोटे से स्टोर से शुरुआत की और बहुत ही कम समय में अपना व्यवसाय बढ़ा कर स्टोर्स की पूरी श्रृंखला खोल ली और अपने व्यवसाय को विविध प्रकार के व्यवसायों में बदल दिया।  मैक डोनाल्ड और पिज्जा हट आदि बहुत सारे उदाहरण आपके समक्ष हैं।  वे सिर्फ इसलिए बढ़ पाये क्योंकि उन्होने बड़ा सोचने और बड़े सपने देखने का साहस किया।

यदि आपके सपने और आपका लक्ष्य वास्तव में बड़े और आकाश की तरह ऊंचे हैं, तो आपके प्रयास भी निश्चित तौर पर ऊंचे ही होंगे।  यदि आपने लक्ष्य निर्धारण ही छोटा किया है, इतना छोटा जितना कि आपके घर की छत है, तो यह निश्चित है कि आप उस स्तर से थोड़ा सा नीचे तक ही पहुँच पाएंगे।

सौजन्य: यू कैन टॉप पुस्तक

प्रेम प्रकृति प्रदत्त दान है

आपने कभी सोचने की चेष्ठा की कि परमात्मा के दिये हुए इस अद्भुत व बहुमूल्य जीवन को आपने नरक कैसे बना लिया है?  क्यों बना लिया है?  इसका बुनियादी कारण क्या है? अगर मनुष्य को परमात्मा के निकट लाना है, तो आप परमात्मा की बात करना बंद कर दो।  केवल मनुष्य को प्रेम के निकट लाइये। आपने जीवन में प्रेम का भाव भरिये।  अगर आपके जीवन में प्रेम की तरंगों का आगमन हो जाता है, तो परमात्मा नाचता हुआ आपके आँगन में प्रकट हो सकता है।

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आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का रसायन

प्रेम के तीन तल होते हैं।  तीन अर्थों में मैं आपको समझाना चाहता हूँ।  पहला तल – शरीर का तल है जहाँ आप गिरते हो।  वासना के वशीभूत होकर परस्पर प्रेम करना वास्तव में प्रेम है ही नहीं।  वह तो स्वार्थ है, छलावा है।  एक-दूसरे की आवश्यकता की पूर्ति मात्र है।  दूसरा तल है – मन का तल, जब बात शरीर से ऊपर उठकर मन तक आ जाती है।  मन से चाहने लगते हो।  तीसरा तल है – आत्मा का तल।  सूक्ष्मतम अस्तित्व आत्मा, जब वह प्रेम एक दूसरे की आत्मा से जुड़ जाता है यानि एक दूसरे की आत्मा में बस जाते हो तब आप दो नहीं रहते एक हो जाते हो।  आत्मसात हो जाते हो परस्पर।  ऐसा निःस्वार्थ प्रेम वासना रहित होता है।  तो मेरा आपसे निवेदन है कि आप सब लोग ऐसा प्रेम करो, ऐसा प्रेम ही परमात्मा से आपका साक्षात्कार करा देगा।

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