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नकारात्मक ध्यान

 ध्यान के विषय में इतना कुछ पहले ही लिखा, पढ़ा, देखा और सुना जा चुका है कि उस बारे में फिर से कुछ कहना पहिये की दुबारा खोज जैसा ही होगा।  यहाँ पर मैं बात ध्यान की ही करूंगा परंतु किसी और संदर्भ में।  

मैं समझता हूँ कि ध्यान लगाने की कोशिश करने जैसा आसान और आनंददायक काम कुछ और हो ही नहीं सकता है।  करना क्या है बस आँखें बंद करो और चुपचाप बैठे रहो, बस इसी छोटी सी क्रिया से प्रारंभ होता है वह जो आप के जीवन में वह सब कुछ उत्पन्न कर सकता है जिसकी आपको प्रत्यक्ष या परोक्ष इच्छा है।  लेकिन समस्या यह है कि हमें पता ही नहीं है हमारी इच्छाओं के बारे में।  इच्छाएं तो हमारी अनन्त हैं लेकिन हमें उनका न आदि पता है और न अंत।  

हमारे सर्वाधिक विशेष और परमप्रिय परामर्शदाता हमारे छोटे भाई श्री अरुण हैं।  अरुण की पूजा पाठ, तंत्र मंत्र, आध्यात्म आदि में गहरी रूचि है और परिणाम स्वरूप लगभग २२ वर्षों का अध्ययन है।  अब अध्ययन है तो ज्ञान और अनुभव होना तो स्वाभाविक ही है।  जब हम लोग आपस में बातें करते हैं तो या तो सिर्फ मस्ती ही कर रहे होते हैं अन्यथा विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक बातचीत ही कर रहे होते हैं।  अरुण की कुछ बातों को मैं यहाँ और आने वाले लेखों में संदर्भित करूंगा इसलिये इनका परिचय यहाँ अपरिहार्य हो जाता है।  

एक बार हमारी चर्चा हो रही थी कि किस प्रकार मंत्र जाप, यज्ञों या किन्हीं और विधियों से मनचाहा प्राप्त किया जा सकता है।  अरुण ने एक बात विशेष बल देकर कही थी कि जब आप किसी प्रयोजन से कोई यज्ञ आदि करते हैं तो वह विशेष प्रयोजन पूर्ण होने से पहले गहराई में दबी हुई इच्छाएं पूरी होती हैं चाहे आप को याद हों या आप भूल चुके हों।  इसलिये आपकी इच्छाएं और आपका संकल्प पूर्णरूपेण ऐसे प्रतिबिंबित होना चाहिये जैसे आप दर्पण में देख रहे हों।  

आजकल जिसे हम ध्यान कहते हैं वह ध्यान से अलग ही कुछ है, या कह सकते हैं कि यह सिर्फ गाइडेड मेडिटेशन है।  यहाँ पर ध्यान की स्थिति वाला ध्यान नहीं है अपितु ध्यान रखने वाला या ध्यान देने वाला ध्यान है।  गाइडेड मेडिटेशन को मैं ध्यान कि संज्ञा में नहीं रखता हूँ, अपितु यह प्राप्य को प्राप्त करने का बहुत ही शानदार प्रत्योकक्षकरण (विजुवालाइजेशन) तकनीक है।  अब प्राप्य क्या है यह आप पर निर्भर करता है।  किसी के लिये प्राप्य ध्यान की ही कोई स्थिति हो सकती है, किसी के लिये धन सम्पदा हो सकती है, किसी के लिये स्वास्थ्य हो सकता है किसी के लिये कुछ और भी।  

कुछ इसी तरह से ध्यान (आजकल का, मैं फ़िलहाल इसी को ध्यान कहूँगा ) भी है।  आज हम सभी हर समय ध्यान की स्थिति में रहते हैं, लेकिन यह ध्यान जागृत अवस्था का नहीं है अपितु यांत्रिक है, स्वचालित है।  ध्यान हम किसी भी महत्त्वपूर्ण बात पर नहीं देते हैं परन्तु हमारे ध्यान में निरंतर नकारात्मकता चलती रहती है।  सुबह का नाश्ता समय पर नहीं मिला उसकी नकारात्मकता, यातायात में असुविधा हुई उसकी नकारात्मकता, किसी ने नमस्ते नहीं की उसकी नकारात्मकता, किसी ने अनदेखा कर दिया, किसी ने कुछ कह दिया, किसी ने कुछ नहीं कहा – इन सब बातों की नकारात्मकता; और पता नहीं किस किस तरह की नकारात्मकता।  यह नकारात्मकता हमारे भीतर ही भीतर चलती रहती है, लगातार हमारे ध्यान में रहती है।  हम चर्चा भी इन्ही बातों की करते हैं।  अनजाने में हमारा पूरा प्रयास रहता है कि कहीं यह मस्तिष्क से बाहर न निकल जाए।  इसी को मैं कहता हूँ नकारात्मकता पर ध्यान या नकारात्मक ध्यान।   

यदि सिर में दर्द हो तो पूरा दिन, सारा ध्यान उसी दर्द पर रहेगा; किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या हो तो ध्यान उसी पर रहेगा; कार्यालय में, दूकान पर, कार्यशाला में, कहीं भी कोई भी समस्या हो तो सारा का सारा ध्यान उसी पर रहेगा।  और इसका परिणाम क्या होगा? परिणाम होगा उन सभी की पुनरावृत्ति।  आकर्षण का नियम भी यही कहता है कि जैसे आपके विचार होंगे उसकी प्रकार की आपकी आवृत्ति होगी और वैसी ही घटनाएं, परिस्थितियाँ, भावनाएं, लोग आकर्षित होंगे और आपके जीवन में उत्पन्न होंगे।  

आजकल बहुत से सिद्ध लोग एक विशेष प्रकार के ध्यान का अभ्यास करवाते हैं जिसमें कि आपको बहुत बारीकी से उन सभी इच्छाओं को पूर्ण होते हुए विजुवलाइज़ करना होता है जो आप पूरा करना चाहते हैं; और इस प्रकार के ध्यान का बहुत चमत्कारिक प्रभाव भी देखा गया है। विजुवालाइज़ेशन को आसान भाषा में कहा जाय तो यह कल्पना एक परिष्कृत रूप है। तो, समझ लीजिये जितना अधिक आप इस प्रकार की कल्पनाओं में डूबेंगे उतनी ही वह परिस्थितियाँ उत्पन्न होंगी। इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता है कि आप सकारात्मक या नकारात्मक क्या और कैसा विजुवलाइज़ करते हैं; जो आप विजुवलाइज़ करेंगे वह प्रकट होकर ही रहेगा। यह सब कुछ आपके अवचेतन मन से नियंत्रित होता है, उस मन को इससे कोई लेना देना नहीं है कि आप मज़ाक कर रहे हैं, झूठ बोल रहे हैं, झूठ को सच समझ कर बोल रहे हैं या सच बोल रहे हैं। आप किसी को शत्रु समझते हैं तो वह आपका शत्रु बनेगा, आप खुद अनावश्यक गरीब कहते हैं तो आप बनेंगे, आपके मन में शंकाएं चलती हैं तो वह शंकाएं भी फलीभूत होंगी ही।  

आपके मन में जो कुछ भी चल रहा है वह भी एक ध्यान है जो फलीभूत अवश्य होगा, अगर वह नकारात्मक है तो यही नकारात्मक ध्यान है। नकारात्मकता को आप अपने जीवन से निकाल नहीं सकते परन्तु उसे सकरात्मकता से प्रतिस्थापित अवश्य कर सकते हैं।  

अभी के लिये बस इतना ही।  

आपके भीतर के परमात्मा को हृदय से प्रणाम  

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आकर्षण का नियम 2

हर विचार एक कारण है और हर कार्य या उत्पन्न परिस्थिति उसका परिणाम मात्र है। इस विश्व में विचार ही सबसे महत्त्वपूर्ण, रहस्यपूर्ण और अदृश्य, जीवित मौजूद शक्ति है। विचार बिलकुल जीवित वस्तुओं की तरह हैं। बाहरी सफलता भीतर की सफलता से ही प्रारम्भ होती है और यदि वास्तव में गंभीरतापूर्वक अपने वाह्य जीवन की गुणवत्ता को सुधारना चाहते है, तो आपको पहले अपने आंतरिक जीवन को सुधारना होगा। मस्तिष्क में छुपी हुई असीमित क्षमताओं को खोजना सीखने और इसके प्रभावी प्रयोग से, जो आप बनना चाहते हैं वह बनने और जीवन में असाधारण सफलता प्राप्त करने से महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।
आकर्षण का नियम, ब्रह्माण्ड का प्रकृतिक नियम है। इसके अनुसार, “लाइक अट्रैक्ट्स लाइक” यानि जब आप किसी विशेष विचार पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो आप उसी तरह के अन्य दूसरे विचारों को अपनी ओर आकर्षित करना प्रारम्भ कर लेते हैं। विचारों में चुम्बकीय शक्ति है और वे अपनी विशेष आवृत्ति (फ्रिक्वेन्सी) पर काम करते हैं। अतएव, वे उस फ्रिक्वेन्सी पर कार्य कर रहे अन्य सभी समान विचारों आकर्षित करना और आपको सर्वथा प्रभावित करना प्रारम्भ कर देते हैं। आप ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली संचरण मीनार (ट्रांसमिसन टावर) हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप नियति को क्या संदेश देना और उससे क्या प्राप्त करना चाहते हैं।

आकर्षण का नियम

आकर्षण का नियम, ब्रह्माण्ड का प्राकृतिक नियम है। इसके अनुसार, “लाइक अट्रैक्ट्स लाइक” यानि जब आप किसी विशेष विचार पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो आप उसी तरह के अन्य दूसरे विचारों को अपनी ओर आकर्षित करना प्रारम्भ कर लेते हैं। विचारों में चुम्बकीय शक्ति है और वे अपनी विशेष आवृत्ति (फ्रिक्वेन्सी) पर काम करते हैं। अतएव, वे उस फ्रिक्वेन्सी पर कार्य कर रहे अन्य सभी समान विचारों आकर्षित करना और आपको सर्वथा प्रभावित करना प्रारम्भ कर देते हैं। आप ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली संचरण मीनार (ट्रांसमिसन टावर) हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप नियति को क्या संदेश देना और उससे क्या प्राप्त करना चाहते हैं।

आपका वर्तमान जीवन आपके बीते हुए कल में आप द्वारा की गयी इच्छाओं और विचारों का परिणाम है और, जैसे आपके विचार आज हैं उससे आपका भविष्य निर्मित होगा। “विचार शक्ति का विज्ञान” का सार है कि आप जिस विषय में विचार करते हैं या ध्यान केन्द्रित करते हैं आपको वही प्राप्त होता है, चाहे आप चाहें या न चाहें। एक दूसरे से मिलते जुलते सारे विचार एक ही दिशा में पंक्तिबद्ध होकर वस्तु रूप लेने लगते हैं। निराकार साकार रूप लेने लगता है।

आप जिस भी संबंध में विचार कर रहे हैं वह आपके भविष्य की घटनाओं की योजना बनाने जैसा है। जब आप किसी की प्रशंसा कर रहे हैं तब भी आप योजना बना रहे हैं। जब आप किसी विशेष विषय में चिंता कर रहे हैं तब भी आप योजना बना रहे हैं। चिंता करना आपकी कल्पनाशक्ति से कुछ ऐसा करवाती है जैसा आप अपने जीवन में कभी नहीं होने देना चाहेंगे। इस तरह हर विचार विश्व व्यवस्था या ब्रह्माण्ड को एक निमंत्रण है और आपके विचार शक्ति से निमंत्रण के बिना आपके जीवन में कुछ भी घटित नहीं हो सकता है। और, विश्वास रखें, शक्तिशाली आकर्षण के नियम का कोई अपवाद नहीं है।

कल्पनाओं से परिपूर्ण विचार समान चीजों को वास्तविकता की ओर आकर्षित करते हैं। मतलब आपके विचार अपने साथ की कल्पना की शक्ति से और भी शक्तिशाली हो जाते हैं। विचारों को वास्तविकता में बदलने में कल्पनाएं एक शक्तिशाली भूमिका निभाती हैं। यदि आप किसी ऐसे लक्ष्य के बारे में सोचिए जिसके बारे में आपका उत्साह आधा-अधूरा हो। इस लक्ष्य को पाने में आपको अधिक समय लगेगा।   परंतु यदि आप भावनात्मक रूप से पूरी तरह उत्साहित हैं तो आपको लक्ष्य बहुत जल्दी प्राप्त होगा। दूसरे शब्दों में, यदि आपके विचार आपको लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में ले जाने वाले वाहन हैं तो आपकी भावनाएं ईंधन हैं जो इस वाहन को शक्ति देती हैं।

आप अपने जीवन में होने वाली हर घटना के उत्तरदायी हैं। किसी स्तर पर – चेतन या अचेतन, आपने हर आदमी, हर विचार, हर रोग, हर आनंद और दर्द के हर क्षण को अपने जीवन में आकर्षित किया है। आप जो भी विचार करते हैं और जो भी अनुभव करते हैं वह बिना किसी अपवाद के आपके जीवन में घटित हो जाता है। यह होता ही है चाहे भले ही आप ऐसा न चाहते हों।

अपने जीवन को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने के लिये, अपनी दिनचर्या को विभागों में विभाजित करने का प्रयास कीजिये। इसका सबसे अच्छा तरीका है की अपनी घरेलू जिंदगी, स्कूल की जिंदगी, निजी जिंदगी, और पारिवारिक जिंदगी को अलग-अलग कर दें। ध्यान रखेँ अपनी प्राथमिकताओं को इनके साथ न उलझाएं।

यह पृथक्करण आपकी कई तरीकों से मदद करेगा। यह आपके तनाव के स्तर को कम करने में, आपकी विचार शक्ति को बढ़ाने में, आपको और प्रभावशाली और उपजाऊ बनने में मदद करेगा। इस अलगाव की सबसे विशेष बात यह है की यह आपको स्वाभाविक रूप से परिपक्क्व बनाएगा।