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विनोद की माताजी का दर्द
जब किसी का किसी प्रकार का ऊर्जा संबंधित उपचार चल रहा हो तो समस्या की गम्भीरता के अनुसार दवाइयों को, पीने के पानी को, भोजन आदि को भी चार्ज किया जाता है। किसी किसी को क्रिस्टल या किसी और प्रकार के रत्न, कोई विशेष एसेंशियल ऑइल आदि का प्रयोग करने की भी सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में कुछ विशेष परहेज भी करने होते हैं। इस पूरे सिस्टम में ध्यान का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है, बहुत से लोगों को ध्यान की भी सलाह दी जाती है। यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या का प्रकार और उसकी गम्भीरता कितनी है। कभी कभी लक्षण तो शारीरिक होते हैं परन्तु समस्या विशुद्ध रूप से सिर्फ मानसिक ही होती है। यहाँ पर मानसिक समस्या का मतलब मनोरोग, पागलपन या मूर्खता जैसा कुछ नहीं है अपितु कुछ और ही है, इसे अलग से फिर कभी समझाया जाएगा।
हमारे एक साथी हैं विनोद जी, विनोद जी कुछ समय से गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं। उनके लिये समय समय पर पानी की चार्जिंग भी करते हैं हम लोग। इसी संबंध में उनकी माताजी का आगमन हुआ। बातों ही बातों में पता चला कि उन्हें दाहिनी ओर के हाथ और पैर दोनों में भीतर की तरफ थोड़ा सा तेज दर्द हो रहा था। घरेलू कामों का यदा कदा कुछ ज़्यादा बोझ उन पर आ जाता है जो कि उनकी उम्र को देखते हुए उनके शरीर के लिये कष्टदायक हो जाता है। घर के दूसरे सदस्यों की आकस्मिक महत्त्वपूर्ण व्यस्तता के कारण इस प्रकार की परेशानियाँ उन्हें अक्सर उठानी पड़ जाती हैं। माँ हैं, माँ तो रूप ही है त्याग का, ममता का, करुणा का; अब ऐसा है तो इसके परिणाम भी होंगे ही, चाहे वह मानसिक स्तर पर हो, शारीरिक स्तर पर हों या फिर दोनों ही हों।
उनकी समस्या की और गहराई में जब उतरा गया तो समझ में आया कि इसके कारण शारीरिक और मानसिक (सिर्फ तनाव) दोनों ही थे। उनकी भी इच्छा थी और हमें भी अनुमति चाहिये थी कि इस समस्या का कुछ समाधान तो होना ही चाहिये। सबसे पहले तो उन्हें थोड़ा शीतल जल पिलाया गया, फिर कुछ विशेष मुद्रा में बैठकर थोड़ी देर शांत होने का आग्रह किया गया, और उसके बाद उनकी दोनों ही समस्याओं का समाधान किया गया। इस प्रकार की समस्याओं के समाधान में करीब ५-१० मिनट लगते हैं। और लगभग इतने समय के अंदर उन्हें काफी आराम मिल चुका था। एक और भी समस्या महसूस हुई जिसका कि उन्हें अनुभव नहीं हो रहा था लेकिन मेरा अंतर्मन कह रहा था कि वह समस्या या तो है या फिर प्रकट होने वाली है। इसके लिये इसके लिये उनके आभामंडल पर कुछ विशेष क्रिया करके उन्हें अगले ८ दिनों तक के लिये निगरानी में रखा गया है।
बहुत बार ऐसा होता है कि किसी को कोई समस्या होती है, लोगों को तो पता चल रही होती है लेकिन स्वयं समस्याग्रस्त व्यक्ति को आभास तक नहीं होता है। ऐसी समस्याओं का समय पर पहचाना जाना, और उनका निवारण आवश्यक हो जाता है। ऐसी समस्याओं का कारण हो सकता है कार्मिक हो, दूषित विचार (अपने या दूसरों के) हों, या फिर अनचाहे सूक्ष्म व्यक्तित्व की उपस्थिति हो।
एक अलग दृष्टि से अगर बात की जाय तो किसी के भी स्वास्थ्य के बिगड़ने के तीन मुख्य कारण हो सकते हैं – १. पूर्ण रूप से भौतिक, २. ऊर्जा संबंधित एवं ३. कर्म जनित। पहले दो कारणों में तो उपचार का प्रभाव लगभग तुरंत ही दिखता है लेकिन तीसरे कारण के संबंध में प्रभाव आते आते काफ़ी समय लग सकता है और संभव है कि प्रभाव हो ही न; तब तक, जब तक कि उसे पहचान कर सुधारा न जाय। इस संबंध में फिर कभी चर्चा करेंगे।
अभी के लिये इतना ही।
आपके भीतर के परमात्मा को हृदय से प्रणाम।