संजीवनी क्रिया
संजीवनी क्रिया के प्रभाव एवं लाभ
संजीवनी क्रिया के 3 आयाम हैं:- शरीर साधना, प्राण साधना एवं आत्म साधना।
इस क्रिया के नियमित अभ्यास से शरीर, मन एवं आत्म के तल पर गहन रूपांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है और अन्ततः साधक को आत्मसाक्षात्कार की अवस्था प्राप्त होती है। इसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति असीम ऊर्जा से भरने लगता है और पाने लगता है हँसता हुआ, तनाव मुक्त, आनंदमय जीवन। इस क्रिया से विभिन्न तलों पर प्राप्त होने वाले उल्लेखनीय लाभ आगे दिए गए हैं:-
शारीरिक लाभ
इसके अंतर्गत मोटापा, मधुमेह, साईटिका, आर्थराइटिस तथा सर्वाइकल स्पोंडीलाइटिस, सिरदर्द, माइग्रेन आदि आधुनिक जीवन शैली से सम्बंधित रोग तत्काल समाप्त होने लगते हैं। इसके अतिरिक्त समस्त उदर सम्बन्धी रोग जैसे कब्ज, गैस, अम्लपित्त तथा ह्रदय रोग, कोलेस्ट्रोल की अधिकता, थाईराइड, रक्तचाप, दमा, अस्थमा जैसे रोगों से भी छुटकारा पाकर मनुष्य शक्ति व स्फूर्ति से भरा जीवन व्यतीत करने लगता है।
मानसिक लाभ
तनाव, डिप्रेशन, चिंता, अनिद्रा जैसे मानसिक रोगों एवं क्रोध, भय आदि नकारात्मक भावों से मुक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक लाभ
संजीवनी क्रिया का नियमित अभ्यास मूलाधार चक्र को जाग्रत कर देता है जिससे कुण्डलिनी शक्ति ऊपर की ओर प्रवाहित होने लगती है। इसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति असीम ऊर्जा से भरने लगता है और पाने लगता है हँसता हुआ, तनाव मुक्त आनंदमय जीवन, जिसे ऋषियों ने कहा है परमात्मा या बुद्धत्व।
Kaise kare sanjivanee kriya
संजीवनी क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसे गुरु के सान्निध्य में सीखना उपयुक्त होगा, इसी प्रयोजन से इसका विवरण यहाँ नहीं दिया गया है। इसे सीखने के लिए कृपया आश्रम में आने का कष्ट करें। अन्यथा, समय समय पर विभिन्न शिविरों का आयोजन किया जाता है, आप वहाँ भी जा सकते हैं।
I m from odisha. is there any center in odisha to learn sanjivini kriya