संजीवनी क्रिया
संजीवनी क्रिया की अनिवार्यता: दस प्रमुख कारण
1. आधुनिक मनुष्य के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए महा औषधि होने के साथ-साथ आत्मबोध एवं आत्म साक्षात्कार की पूर्णरूपेण सत्यापित एक परम वैज्ञानिक तकनीक है संजीवनी क्रिया। इसके अभ्यास से व्यक्ति की आंतरिक रूपांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है और वह परम तनाव मुक्त आनंदमय जीवन जीने लगता है।
2. आज की तेज रफ़्तार जिंदगी के भारी दबावों के कारण दुनिया इनती अशांत एवं तनावग्रस्त हो गयी है, जितनी पहले कभी नहीं हुई। भौतिक महत्वाकांक्षाओं की दौड़ में आधुनिक मनुष्य ने स्वयं को भुला दिया है और एक अर्थहीन एवं दयनीय जीवन व्यतीत करता चला जा रहा है। इसी अशांति एवं तनाव के निराकरण की कुंजी है संजीवनी क्रिया।
3. मनुष्य के सम्पूर्ण इतिहास में तनाव की मानव मृत्यु का सर्वाधिक खतरनाक कारण है। इसने हमारी रोह-प्रतिरोधक क्षमता न केवल क्षीण कर दी है बल्कि आधुनिक जीवन शैली की बीमारियाँ जैसे मानसिक रोग, माइग्रेन, कैंसर जैसी अनेकानेक बीमारियों का मूल स्रोत बन गया है। इन्हें संजीवनी क्रिया से दूर किया जा सकता है।
4. संजीवनी क्रिया आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को निरंतर बढ़ाती है, जिससे आप कई असाध्य रोगों का शिकार बनने से बच जाते है।
5. संजीवनी क्रिया आधुनिक जीवन से जुड़े अनेक शारीरिक व मानसिक रोगों जैसे मोटापा, मधुमेह, ह्रदय रोग, डिप्रेसन, अनिद्रा, रक्तचाप, जोड़ों में दर्द, तनाव, संतानहीनता एवं नपुंसकता सम्बन्धी समस्याओं को जड़ से मिटने वाली रामबाण औषधि है।
6. तमाम लोगों को चिकित्सकों द्वारा समस्त संभव मेडिकल परीक्षणों के बाद हर प्रकार से स्वस्थ घोषित कर दिया जाता है मगर उनकी बीमारी फिर भी बनी रहती है क्योंकि उनके शरीर से अधिक गहरे तन, मन और आत्मा के तल पर पहुँच चुकी होती है। ऐसी आतंरिक तन की बीमारियों का मेडिकल साइन्स द्वारा कोई सफल निदान अभी तक खोजा नहीं जा सका है। इन बीमारियों का एकमात्र इलाज है ध्यान, जिसकी सरलतम वैज्ञानिक विधि है संजीवनी क्रिया। इस प्रकार आज के असाध्य रोगों का भी उपचार संजीवनी क्रिया करती है।
7. चिर-यौवन एवं शास्वत सौन्दर्य प्राप्त करने की चमत्कारी तकनीक है संजीवनी क्रिया।
8. इस क्रिया के अभ्यास से जीवन-ऊर्जा मूलाधार से सहस्त्रार चक्र की ओर प्रवाहित होने लगती है। इससे चेतना उच्चतम तलों पर पहुँचती हुई परम आनंद तथा आत्मबोध की अवस्था को प्राप्त करवा देती है। इस प्रकार आध्यामिक दृष्टि से यह क्रिया आधुनिक मनुष्य के लिए श्रेष्ठतम साधना सिद्ध हो चुकी है।
9. आज धर्म के नाम पर अन्धविश्वास एवं व्यर्थ के क्रियाकांडों का पोषण तथा लोगों का शोषण किया जा रहा है और धर्म व्यापर के रूप ले चुका है। इस प्रकार धर्म के नाम पर मनुष्य का हित नहीं भारी अहित हो रहा है। संजीवनी क्रिया के अभ्यास से एक अभिनव धार्मिकता का स्वतः जन्म होने लगता है तथा व्यक्ति निरंतर अकारण आनंद में जीने लगता है, उसके जीवन में प्रेम की रसधार बहने लगी है।
10. लोग आजकल योग से भी निराश हो चुके हैं क्योंकि योग अब मात्र शारीरिक व्यायाम बन कर रह गया है, इसके अलावा आज के व्यस्ततम जीवन में योग का लम्बा अभ्यास साधने के लिए दिन तो क्या, कुछ घंटे भी निकालना संभव नहीं है। अतः ऐसी विधियों की जरूरत है जिनका परिणाम शीघ्र प्राप्त हो। संजीवनी क्रिया इसी आवश्यकता की पूर्ति करती है जी अति सरल होने के साथ-साथ मात्र 30 मिनट लेती है।
Kaise kare sanjivanee kriya
संजीवनी क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसे गुरु के सान्निध्य में सीखना उपयुक्त होगा, इसी प्रयोजन से इसका विवरण यहाँ नहीं दिया गया है। इसे सीखने के लिए कृपया आश्रम में आने का कष्ट करें। अन्यथा, समय समय पर विभिन्न शिविरों का आयोजन किया जाता है, आप वहाँ भी जा सकते हैं।
I m from odisha. is there any center in odisha to learn sanjivini kriya