आपकी कल्पना, आपकी इच्छा शक्ति से कई गुना अधिक शक्तिशाली होती है। दृष्टा भाव का अभ्यास अपने जीवन के एक महत्त्वपूर्ण पहलू के रूप में करें, अर्थात जो कुछ भी आप सोचें उसका मानसिक चित्र बनाकर अभ्यास करें।
Posted on जुलाई 7, 2012, in क्रांति सन्देश, प्रवचन. Bookmark the permalink. 1 टिप्पणी.
its vry effctve….!!!!