इच्छा ही प्रारब्ध है

यह आपकी सबसे गहरी इच्छा है जो मूर्त रूप लेती है:
जैसी आपकी इच्छा है वैसा आपका प्रयोजन है
जैसा आपका प्रयोजन है वैसी आपकी भावना है
जैसी आपकी भावना है वैसे आपके कर्म हैं
जैसे आपके कर्म हैं वैसा आपका प्रारब्ध है
यह जानना हमारे लिये अति महत्त्वपूर्ण है कि हम वास्तव में चाहते क्या हैं और फिर हमें उसके लिये प्रयास करना चाहिये …

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About अजय प्रताप सिंह

Light Worker

Posted on जून 18, 2012, in उद्धरण, प्रवचन. Bookmark the permalink. 1 टिप्पणी.

  1. guru apana gayan se manave ka bahala kar rahi hi

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