हृदय खोलो, गुरु को जानो

मेरे प्रेमियों, जब भी मैं इस व्यास पीठ पर बैठता हूँ तो मेरे हृदय पर, प्राणों पर, मेरी आत्मा पर और मेरे शरीर पर सद्गुरु देव स्वामी सुदर्शनाचार्य की अद्भुत कृपा बरसने लगती है।  और मैं कहूँ कि उस समय “मैं” होता ही नहीं हूँ।  उनकी कृपा, उनका आशीष, और साक्षात उनकी आत्मा मेरे अंदर भर जाती है।  मेरी आँखों से प्रेम के, आनंद के आँसू झरने लगते हैं।  मेरा कंठ अवरूद्ध हो जाता है।  बोलने की चेष्ठा, बोलने का साहस करने मे बड़ा परिश्रम करना पड़ता है।  यानि जब तुम भाव से भर जाते हो, जब तुम्हारा हृदय काँप जाता है तो वाणी निकलने को तैयार नहीं होती है।  यह अद्भुत राज है, गुरु-शिष्य के बीच के सम्बन्धों का।  इसे कोई तर्क से, बुद्धि से नहीं समझ सकता है।  लेकिन तुममे से कुछ लोग इसे समझते हैं।  तुम जब कभी मेरे पास आकर अपनी निगाहों से मुझे देखते हो तो आपकी निगाहें मेरी निगाहों पर पड़ती हैं, किन्तु तुमसे बोला कुछ नहीं जाता।  तुम्हारे आँसू झरने लगते हैं।  तुम्हारे कुछ कहे बिना ही तुम्हारे प्रेम के, आनंद के, आँसू सारी बातें कह देते हैं।  तुम्हारी सारी पीड़ा को व्यक्त कर जाते हैं। ऐसा कुछ मुझे अक्सर देखने को मिलता है।  जिस क्षण मैं स्वामी सुदर्शनाचार्य का स्मरण भर कर लेता हूँ तो कुछ अद्भुत घटना घटने लगती है।  मैं तुम्हें हृदय से बताना चाहता हूँ कि जो कुछ इस स्थल पर घटित हो रहा है, वह स्वामी सुदर्शनाचार्य के आशीष का ही प्रतिफल है।  उनके चरणों मेन बैठने का मेरा एक ही अनुभव है कि सद्गुरु का आशीष अनंत आनंद की वर्षा करता है।   …..

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About अजय प्रताप सिंह

Light Worker

Posted on नवम्बर 18, 2012, in क्रांति सन्देश, प्रवचन. Bookmark the permalink. 3 टिप्पणियां .

  1. Bahut-2 achcha laga,Guru ke charno me naman karta hoon.

  2. Hamare GuruDev yug -2 jiye aur ham sabhi per AASHIRBAD lutate rahen.

    GURUDEV KE CHARON ME MERA NAMAN.

    2012/11/19 P.K. Sharma

    > Bahut-2 achcha laga,Guru ke charno me naman karta hoon. > >

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