प्रतीक्षा मत करो

प्रतीक्षा मत करो; समय कभी भी “पूरी तरह उचित” नहीं होगा।  जहाँ खड़े हो वहीँ से शुरू करो और तुम्हारे नियंत्रण में जो भी उपकरण हैं उनसे काम करो।  और मैं तुम्हें भरोसा दिलाता हूँ कि जैसे-जैसे तुम आगे बढ़ते जाओगे ‘और बेहतर’ उपकरण मिलते जायेंगे।

Posted on जून 29, 2012, in उद्धरण, प्रवचन. Bookmark the permalink. टिप्पणी करे.

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