अगस्त 11
Posted by अजय प्रताप सिंह
आज सारा संसार एक गाँव की तरह हो गया है आज यहाँ बात करो सारी दुनिया में पहुँचती है। आज आपके पास अणु शस्त्र है अगर आप मिटकर रहोगे, विभाजित रहोगे तो लड़ोगे और लड़ोगे तो निश्चित रूप से युद्ध संभव होगा। अब अगर युद्ध होगा तो केवल एक देश नहीं मिटेगा, फिर सारी दुनिया मिट जायेगी; इसलिए मैं कहता हूँ कि अब तीसरा विश्व युद्ध असंभव हो गया है तीसरा विश्व युद्ध हो ही नहीं सकता। अब सिर्फ आतंकवाद ही पनपेगा, बढेगा। अगर इसको जड़ से मिटाने की कोशिश नहीं की गयी तो पहले समझ पैदा करनी है, जगह-जगह अभियान छेड़ने हैं। समझ पैदा करने का अभियान सारी सरकारों को मनुष्यता में फैलाना होगा कि हम देशों में राष्ट्रों को अलग-अलग बांटकर नहीं रह सकते, अब हमें एक पृथ्वी, एक देश, एक मनुष्यता की बात सोचनी होगी। अब हमें लड़ने की बात नहीं सोचनी। जब अलग-अलग देश कि बात सोचेंगे तो मिट जायेंगे। मनुष्यता ही मिट जायेगी और दूसरी बात मैं कहना चाहता हूँ कि अब वक्त आ गया है सारी दुनिया को सामूहिक निर्णय लेना पड़ेगा कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं और आतंकवाद के खिलाफ रहेंगे और सारी दुनिया को ये संकल्प लेने की जरूरत है कि आतंकवाद किसी भी धरती पर पैदा होगा तो आतंकवादी गतिविधियों को हम प्रोत्साहन नहीं देंगे। हम सफाया करेंगे उनका, हम मिटायेंगे उनको; हर देश, हर राष्ट्र सबको सामूहिक रूप से संकल्प लेना पड़ेगा। यह समझ पैदा करनी है कि वो आतंकवादी गतिविधि चाहे जिस देश के खिलाफ हो यदि हमारी धरती पर उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उसकी गतिविधियाँ चलायी जा रही हैं तो हम उसको ख़त्म करेंगे वो आतंकवाद भले ही हमारे दुश्मन देश के खिलाफ क्यों न हो ये समझ पैदा करनी है। इसका आन्दोलन चलाना पड़ेगा, क्यों? क्योंकि आदमी यदि समझदार होगा तो अपने आप आतंकवादी गतिविधियों को हतोत्साहित करेगा, मिटायेगा, नष्ट करेगा। समझदार आदमी होगा तो वो समझेगा कि आतंकवाद का जिसने जहाँ भी प्रशिक्षण लिया या पोषण दिया आतंकवाद ने उसी को डस लिया, उसी को खा लिया है सारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि अमेरिका और यूरोपियन देश जगह-जगह पर आतंकवाद को परिष्कृत कर रहे थे लेकिन ११ सितम्बर २००० कि घटना जो अमेरिका में घटी उसने अमेरिका और यूरोप की आँख खोल दी जिन सांपो को उन्होंने पाला-पोसा था उन्होंने उन्हें ही डस लिया, उनको ही डसने लगे। अगर वे समझे कि आतंकवाद को अगर हम प्रोत्साहन देते हैं तो आतंकवाद एक दिन निश्चित रूप से हमें ही डस लेगा। ये समझ पैदा करने की जरूरत है और मैं कहता हूँ कि धर्म और कुछ नहीं है सिर्फ समझ की क्रांति है अगर तुम्हारे भीतर समझ आ जाये, अगर मनुष्य के भीतर समझ आ जाये तो उसकी समस्याओं का समाधान निश्चित है – समझ ही समाधान है। समझ के अतिरिक्त कोई समाधान नहीं है। कोई भी चीज पाने के लिए डिज़ायर होनी चाहिए, बर्निंग डिज़ायर होनी चाहिए वैसे ही आतंकवाद को मिटाने की एक बर्निंग डिज़ायर होनी चाहिए। मनुष्य के दिल में मनुष्य के ह्रदय में वो डिज़ायर सद्गुरु पैदा करेगा। हम आवाज देंगे, पुकारेंगे, मेरा दावा है अगर मेरे भीतर बर्निंग डिज़ायर है कि मैं आवाज दे-दे कर दुनिया से आतंकवाद को ख़त्म कर दूंगा तो आतंकवाद मिट कर रहेगा। आतंकवाद पनप नहीं सकता है समझ पैदा होगी तो क्योंकि मनुष्य अब इतना नासमझ नहीं रह गया कि अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारेगा और मैं यही कहना चाहता हूँ कि पाकिस्तान जैसे देश भी जो आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहन देते हैं यह समझदारी बहुत जल्दी पैदा करनी पड़ेगी कि अगर उन्होंने इसको प्रोत्साहन देना बंद नहीं किया तो ये आतंकवादी ही पाकिस्तान के आत्मघात का कारण बन जायेंगे। पाकिस्तान को ये खुद ही मिटा देंगे किसी दुसरे को मिटाने कि जरूरत नहीं है ये साक्षात् इतिहास प्रमाण है इस बात का।
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Posted on अगस्त 11, 2014, in उद्धरण, प्रवचन. Bookmark the permalink. टिप्पणी करे.
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