फरवरी 3
Posted by अजय प्रताप सिंह
जो प्रेम की मांग करता है, आज तक उसने इस दुनिया में प्रेम नहीं पाया है। प्रेम पाने का एक ही उपाय है – प्रेम लुटाओ। आप किसी दूसरे व्यक्ति की आँखों में प्रेम की भावना से झांकोगे, तो दूसरी ओर से घृणा नहीं, प्रेम की सरिता बहेगी। अगर आप ह्रदय की गहराई से किसी का हाथ पकड़ोगे तो दूसरे के हाथ से भी प्रेम की ऊष्मा आएगी जिसका आपके हाथों के द्वारा अनुभव भी होगा। लेकिन आपके प्रेम में कांटे ही कांटे हैं, फूल नहीं। क्योंकि अपने अहंकार का विसर्जन नहीं किया है। फिर भी मैं कहता हूँ कि यदि प्रेम में कांटे भी हों, तो प्रेम गुलाब के फूल जैसा है। काँटों में ही फूलों का मजा होता है। जब प्रेम का भाव जागता है तो आप थोड़ा शुभ की ओर कदम बढ़ाते हो, थोड़ा सौन्दर्य कि ओर कदम बढ़ाते हो, थोड़ा सजते हो, श्रृंगार करते हो और आपके भीतर भी थोड़ी दिव्यता का भाव आने लगता है।
Posted on फ़रवरी 3, 2014, in प्रवचन. Bookmark the permalink. टिप्पणी करे.
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