प्रेम प्रकृति प्रदत्त दान है
मेरे प्रेमियों, आपने कभी सोचने की चेष्ठा की कि परमात्मा के दिये हुए इस अद्भुत व बहुमूल्य जीवन को आपने नरक कैसे बना लिया है? क्यों बना लिया है? इसका बुनियादी कारण क्या है? प्रेमियों! अगर मनुष्य को परमात्मा के निकट लाना है, तो आप परमात्मा की बात करना बंद कर दो। केवल मनुष्य को प्रेम के निकट लाइये। आपने जीवन में प्रेम का भाव भरिये। अगर आपके जीवन में प्रेम की तरंगों का आगमन हो जाता है, तो परमात्मा नाचता हुआ आपके आँगन में प्रकट हो सकता है।
बड़े दुःख का विषय है कि हमारे पूर्वजों ने अभी तक प्रेम को विकसित करने की ओर ध्यान ही नहीं दिया। गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक हमारे समाज की सारी व्यवस्था प्रेम से विमुक्त है। उस सारी व्यवस्था का केंद्र प्रेम को नहीं बनाया जा सका। हमारा परिवार प्रेम का विरोधी है। हमारा समाज प्रेम का विरोधी है।
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