प्रेम और प्रार्थना
जब आप प्रेम करोगे तो अद्भुत शांति आपके चित्त में व्याप्त होने लगेगी। बिना प्रेम के चित्त में शांति नहीं आ सकती है, बिना शांति के जीवन तनावमुक्त नहीं हो सकता है, और तनाव मुक्त हुए बिना कोई पूजा प्रार्थना संभव ही नहीं हो सकती है। …
अपनी अंतरात्मा से निकले शब्द ही ईश्वर के प्रति असली प्रार्थना है। …
प्रार्थना जीवन का विज्ञान है, और उस विज्ञान को प्राप्त करने के लिये कला चाहिए। …
प्रार्थना सीखी नहीं जाती, प्रार्थनाएं सीखने की कोई आवश्यकता नहीं है। प्रार्थना तो आप अपने आप सीख जाते हो वैसे ही जैसे प्रेम सिखाया नहीं जाता है, आप प्रेम करना अपने आप सीख जाते हो। वैसे ही आप प्रार्थना सीख जाओगे। …
Posted on जुलाई 29, 2012, in प्रवचन, प्रेम. Bookmark the permalink. टिप्पणी करे.
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