हृदय खोलो, गुरु को जानो

मुझे गर्व है अपने सद्गुरु पर कि उनका दिया गया वचन, उनका एक-एक शब्द आप जैसे प्रेमियों के प्रयास से सार्थक होता नजर आ रहा है।  और बाबा का आदेश, उनकी कामना आज मेरे जीवन के प्रार्थना बन गयी है।  पूज्य गुरुदेव ने कहा था कि तुम सद्गुरु देव के चरणों में बैठने का जो भी अनुभव सँजोए हो जिससे तुम्हें लगे कि तुम्हारा जीवन बदला है, तुमहारे व्यक्तित्व का रूपान्तरण हुआ है, अपने इस अनुभव को दुनिया के कोने-कोने में पहुंचाओ।  वही दुनिया के लिए मेरा संदेश होगा।  ये स्वामी सुदर्शनाचार्य के शब्द थे कि उनके संदेश को, सद्गुरु चरणों में बैठने के अनुभव को मैं दूर-दूर तक दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाऊँ।  आप मुझसे कहते हैं कि गुरुदेव, मेरे लायक कोई सेवा बताइये।  मैं इस परम पुनीत अवसर पर तुम्हें एक ही सेवा देना चाहता हूँ कि जो भी पूज्य बाबा का संदेश है और जो भी उनके चरणों में बैठने का मेरा अनुभव है, उस अनुभव को दुनिया के कोने कोने तक पहुँचाने का कार्य तुम पूर्ण आस्था से निभाओ।  वह आपकी सेवा बाबा के चरणों में, परमात्मा के चरणों में प्रार्थना बन जाएगी और आपको हजार-हजार गुणा फल देगी।  आपको अपनी चिंता नहीं करनी पड़ेगी।  वही आपकी चिंता करेगा, वही अपने शिशु की तरह आपको अपनी गोद में दुलारेगा, प्यार करेगा और तुम्हें खिलाएगा।

यही सद्गुरु देव का आशीष है।  मेरी प्रार्थना है कि यह आपके जीवन में सार्थक हो।  आप इस सेवा को स्वीकार करें।

सद्गुरु के चमत्कारी प्रभावों का मैं उल्लेख करना चाहता हूँ।  आपके ऋषियों मनीषियों ने कहा है कि:-

“ध्यान मूलं गुरोर्मूर्ति:, पूजा मूलं गुरोः पदम,

मंत्र मूलं गुरोर्वाक्यम, मोक्ष मूलं गुरोः कृपा।”

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