आपको गर्व होना चाहिए, आप स्वामी सुदार्शनाचार्य जी के शिष्य हो। आपके आध्यात्मिक घर में ऊर्जा का केंद्र है। इस ऊर्जा के केंद्र में इतनी शक्ति है कि आप जो चाहोगे वही पाओगे। आपको इस बात कर निरंतर बोध रहना चाहिए कि आपके ऊपर किसी भी प्रकार की आपदा को नहीं आने देगा। आप इस आध्यात्मिक घर के बच्चे ही हो और जो भी करते हो अच्छा बुरा, जो भी आपसे होता है होने दो। उसका दायित्व मेरा है, आपका नहीं। जो भी आप करते हो उसके प्रति आत्मग्लानि से न भरो केवल अपने गुरु से सच्चाई से कह दो कि गुरूजी मुझसे यह बुराई हो रही है। मैं तो बहुत साधारण सा मन्त्र देता हूँ, उन्हें पकड़ भर को, देखो जादू हो जायेगा। जो आपसे हो रहा है अच्छा ही हो रहा है, गुरूजी की प्रेरणा से हो रहा है, आप नहीं कर रहे हो, आपका गुरु कर रहा है तो दोष गुरु का होगा, आपका नहीं। दोष उस परमात्मा का होगा, आपका नहीं होगा। परमात्मा सजा देगा तो आपके गुरु को देगा।
कानून में भी है कि अगर किसी अफसर ने अपने मातहत से कहा गोली चलाओ, तो गोली चलाने वाले को दोष नहीं लगेगा, अगर सरकार सजा देगी तो अफसर को देगी, जिसने आदेश दिया है। अगर परमात्मा सजा देंगे तो मुझे देंगे आपको नहीं। आप तो मुक्त हो, आपको मैं निर्भय करता हूँ। लेकिन यह भी ध्यान रखना कि तुम करो सब कुछ मेरे मनोबल से, लेकिन अपने गुरु के प्रति जरूर सच्चे रहना। जो कुछ भी बुरा करते हो अथवा अच्छा करते हो उस बात को कहने में कभी संकोच मत करना।
अच्छी और बुरी आत्माएं
गर्भ धारण करने की प्रतीक्षा करने वाली अच्छी और बुरी आत्माएं, उनका क्या प्रभाव होता है? इसके बारे में थोड़ा बताना चाहता हूँ। असाधारण व्यक्तियों की जो शुभ आत्माएं भी किसी गर्भ को प्राप्त करने में ब्रम्हांड में रहती हैं और चूंकि ये इन्द्रियों के सुखों की भूखी नहीं हैं, उनमें लिप्त नहीं होती हैं। यह भी प्रवेश कर सकती हैं शरीर में। लेकिन ये बिना आमंत्रण के प्रवेश नहीं करती हैं। मन्त्रों और ऋचाओं का प्रयोग कर इन आत्माओं को बुलाया जाता है और तब उनका शरीर में प्रवेश संभव होता है। लेकिन आज की दुनिया में यह शुभ आत्माएं दुर्लभ हो गयी हैं। इनको आमंत्रित करने की विधियों का प्रयोग करना असाध्य हो गया है।
लेकिन प्रेत आत्मा किसी न किसी रूप में साधारण मनुष्यों को पकड़ लेती है। इन आत्माओं का इतिहास और विज्ञान बहुत पुराना है। आपके ऋषियों और मनीषियों ने शुभ आत्माओं के माध्यम से ही बड़े बड़े अनुसन्धान किये हैं। उनहोंने कैसे किया? उनहोंने इन आत्माओं का आह्वान किया, उनको मन्त्रों से आमंत्रित किया, विभिन्न ऋचाओं से और उनके माध्यम से उनहोंने सारे वैज्ञानिक तथ्यों की तलाश की।
आपने हकीम लुकमान का नाम सुना होगा। आज के वैज्ञानिक तो प्रयोगशाला में प्रयोग करते हैं लेकिन आज से हजार साल पहले हकीम लुकमान एक-एक पौधे के पास जाते थे और उसको हाथ से छूते थे, कान से लगाते थे। पौधा बता देता था कि मैं इस बीमारी में काम आता हूँ। यह अद्भुत बातें हैं, इन शुभ आत्माओं से इस प्रकार की तलाशें की जाती रही हैं और उनसे बड़े-बड़े तथ्यों और रहस्यों का पता लगाया गया जो आज भी विज्ञान की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं। आयुर्वेद ने सर्पगंधा की खोज की थी, जो पागलों के इलाज के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण औषधि है। यह सर्पगंधा की खोज आयुर्वेद ने किसी प्रयोगशाला में नहीं की थी, आपके वैद्य इन पौधों को, जड़ी बूटियों को पहाड़ों से खोज लाये। कैसे? शुभ आत्माओं के आह्वान के द्वारा अपनी अंतर्दृष्टि से।
कितने लोग मुझसे मिलते हैं और पूछते हैं कि गुरूजी मैं क्या पूजा पाठ करून? मुझसे इतना पाप होता रहता है कि मैं बहुत पापी बनता जा रहा हूँ। सोचता हूँ कि आपके आध्यात्मिक घर में आने से क्या फायदा? सबसे पहले मैं अपने को उन पापों से मुक्त कर लूं जिन्हें मैं रोज करता रहता हूँ तब आपके चरणों में आऊँ। मैं उनसे यही कहना चाहता हूँ कि यह उसी प्रकार से है, जैसे कोई बीमार आदमी कहे कि मैं कैसे डॉक्टर के पास जाऊं, पहले ठीक-ठाक हो जाऊं, तो डॉक्टर के पास जाऊं। जब आप पाप शून्य हो जाओगे, जब आप बुराई से मुक्त हो जाओगे, तब आपको प्रार्थना करने, मेरे पास आने की जरूरत ही क्या है? जब आप निर्मल हो गए, पाप मुक्त हो गए तो समझ लो कि साक्षात् परमात्मा हो गए। फिर आपको क्या जरूरत है गुरु के पास जाने की। गुरु के पास इसीलिए तो जाना है कि आप बीमार हो। आज तक इस दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति पैदा हुआ है जिसने कभी कोई पाप नहीं किया हो। इसीलिए पाप से दरो ही नहीं। यहाँ तक कहता हूँ कि आप भगवान से भी डरो नहीं। भगवान से डरने वाला कभी भगवान को नहीं पा सकता है। जिससे आप डरते हो उसे कभी प्राप्त नहीं कर सकते हो।
aati uttam utkrishtha,adbhud bate jo hamne kabh nahi suni.such word by guruji which he has spread no body has done ,it is small but bigger then bigger,
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Rudra Dubey
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Rudra Dubey
पिंगबैक: भूत, प्रेत और भय | साइंस ऑफ़ डिवाइन लिविंग